जंघई। विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी सावन माह में बूढ़ेनाथ महादेव मंदिर पांडेयपुर, भानीपुर प्रांगण में ग्रामीणों के सहयोग से श्री शिव महापुराण साप्ताहिक कथा का आयोजन किया गया है। कथा वाचक आचार्य लोलारख नाथ मिश्र महाराज ने कथा के तीसरे दिन सती और दक्ष प्रसंग पर प्रकाश डाला। महाराज ने उपस्थित श्रोताओं को कथा श्रवण कराते हुए कहा कि देवाधिदेव महादेव की पहली पत्नी देवी सती दक्ष प्रजापति की कन्या थी दक्ष प्रजापति को ब्रह्मा जी का मानस पुत्र माना जाता है। देवी सती ने अपने पिता दक्ष की इच्छा के विरुद्ध महादेव शिव से विवाह किया क्योंकि कैलाशवासी शिव के दर्शन कर उन्हें शिव से प्रेम हो गया किंतु सती के पिता महादेव को अपनी पुत्री के लिए उचित वर नहीं मानते थे इसलिए दोनों के विवाह के उपरांत भी दक्ष प्रजापति के लिए शिव अप्रिय व अनादृत रहे। एक बार दक्ष प्रजापति ने बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया किंतु शिव व देवी सती को इस यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया और यज्ञ में उन्हें उनका भाग भी नहीं दिया बल्कि दक्ष प्रजापति ने यज्ञ के अवसर पर शिव के लिए अपमान जनक बातें कहीं। 

इससे व्यथित होकर देवी सती ने यज्ञ कुंड में ही स्वयं को भस्म कर प्राणांत कर लिया जब महादेव को इस घटना का ज्ञान हुआ तो उन्होंने वीरभद्र को भेजा जिसने दक्ष प्रजापति का वध कर दिया एवं यज्ञ का विध्वंस कर दिया। महादेव ने सती के मृत शरीर को अपने मस्तक पर धारण किया एवं क्रोधावेश में विकट तांडव नृत्य आरंभ किया जिससे संपूर्ण संसार विकल व्याकुल हो गया तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाकर सती के शरीर को खंड-खंड कर दिया। देवी सती के शरीर के अंग जिस जिस स्थान पर गिरे वही एक शक्तिपीठ निर्मित हो गया। शिव पुराण का यह आख्यान है कि शक्ति के बिना शिव शक्तिहीन है शक्ति का साथ पाकर ही शिव पूर्ण है कल्याणकारी है। इस अवसर पर कृपाशंकर मिश्रा, ओमप्रकाश पांडेय, ग्राम प्रधान भानीपुर सौरभ पांडेय, राजेंद्र प्रसाद पांडेय, राकेश पांडेय, विश्वनाथ विश्वकर्मा, रामसागर दुबे, लक्ष्मीकांत पांडेय, रमेश पांडेय, राजा सिंह, दूधनाथ साहू सहित तमाम समस्त गांव एवं क्षेत्रवासी मौजूद रहे।