जंघई।गया धाम बिहार में पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं यह धार्मिक कार्य पितृपक्ष के दौरान किया जाता है, जब लाखों श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके उद्धार के लिए बिहार के गया में फल्गु नदी के किनारे स्थित गयाजी तीर्थ स्थल पर आते हैं। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, गयाजी में पिंडदान करने से पितरों को सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है जिसका अर्थ है कि उनकी आत्मा जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने गयासुर नामक एक राक्षस के शरीर को यज्ञ के लिए दान में मांगा था, और जब वह हिलने की कोशिश करने लगा तो भगवान ने उसे शिला से दबा दिया। भगवान विष्णु ने वरदान दिया कि जो भी व्यक्ति गयाजी में पिंडदान करेगा, उसे उसके पितरों को मोक्ष मिलेगा। पितृपक्ष के 15 दिनों के दौरान पिंडदान का विशेष महत्व होता है इस समय श्रद्धालु अपने पूर्वजों को तर्पण और पिंडदान अर्पित करते हैं, जो सीधे उन तक पहुंचता है और उन्हें शांति प्रदान करता है, गयाजी में किया गया पिंडदान माता-पिता और पितरों की कई पीढ़ियों का उद्धार करता है। गया में सभी प्रकार के पिंडदान, विष्णु पूजा और दोष निवारण पूजा और पिंडदान गया द्वारा विरह श्राद्ध में 54 वेदियों के लिए सेवाएं प्रदान करते हैं पिंडदान सभी हिंदुओं या हिंदू धर्म के अनुयायियों का दायित्व है। इसी क्रम में प्रयागपुर गांव निवासी मोहन मिश्रा एवं सावित्रि देवी, अनिल मिश्र, हेमंत मिश्र एवं नीलम देवी पूर्वजों एवं माता पिता के तर्पण हेतु रविवार गाजा बाजा के साथ धूमधाम से अपने कुल खानदान के साथ घरों में अक्षत छिड़कते हुए परिवार व गांव की परिक्रमा करते हुऐ गया धाम प्रस्थान किया। इस अवसर परिजनों में अनिरुद्ध मिश्र, विनोद मिश्रा, विजय कुमार मिश्र, किशन, संदीप, राहुल, प्रदीप, राजू, विकास, अनिकेत, आदर्श, आयुष, सार्थक सहित तमाम ग्रामवासी मौजूद रहे।