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जंघई।श्रीराम जानकी मंदिर जंघई की रामलीला मुकुट पूजन से प्रारंभ हुई। 94 वें वर्ष की ऐतिहासिक रामलीला में राजा प्रतापभानु के जन्म से लेकर राजा मनु के तप और वरदान की लीला का मंचन हुआ। राजा प्रतापभानु एक बार जंगल में शिकार खेलने जाते हैं। यहां वे रास्ता भटक जाते हैं। यहां उनकी मुलाकात एक कपट मुनि से होती है। वह कपट मुनि अपनी बातों से राजा को झांसा देकर उनके महल में पहुंच जाता है। यहां वह ब्राह्मणों के भोजन में छल से मांस मिलवा देता है। इस पर आकाशवाणी होती है कि हे ब्राह्मणों यह भोजन मत करो इसमें मांस मिला हुआ है। इससे तुम्हारा धर्म भ्रष्ट हो जाएगा। इस पर ब्राम्हण राजा प्रतापभानु को अगले जन्म में राक्षस होने का श्राप दे देते हैं। बाद के जन्म में वहीं राजा प्रतापभानु रावण के रूप में जन्म लेता है। राजा मनु के तप और भगवान विष्णु द्वारा उन्हें वरदान दिए जाने का भी मंचन किया गया राजा मनु अपनी रानी शतरूपा के साथ घोर तप करते हैं इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उन्हें वरदान मांगने को कहते हैं इस पर राजा मनु उनसे उनके जैसा पुत्र मांगते हैं। इस पर भगवान कहते हैं कि मेरे जैसा दूसरा कोई नहीं हो सकता, इसलिए मैं ही अगले जन्म में आप दोनों के पुत्र के रूप में अवतार लूंगा। रामलीला पात्रों में ब्रह्मा- अजय पांडेय, रावण - अभिषेक तिवारी, कुम्भ कर्ण - किशन पाठक, विभिषण - ओम प्रकाश दुबे, पृथ्वी - पुलथी यादव, शिव शंकर - अखिलेश मिश्र, इंद्रदेव - अंबुज उमर वैश्य, मंत्री - सचिन पांडेय, अग्नि देव - विपिन यादव, फोरमैन- गग्गू यादव, ऋषि मुनि - यश जैन, दरबारी - शीतला प्रसाद पाठक मौजूद रहे।