
जंघई।आदर्श नवयुवक रामलीला समिति चनेथू गांव की 64 वें वर्ष की रामलीला मंचन में दशरथ-कैकेयी संवाद, श्रीराम वनगमन, केवट प्रसंग, सीता हरण लीलाओं का संगीतमय मंचन किया गया। महाराज दशरथ अपनी बढ़ती अवस्था को देखते हुए मंत्री परिषद से विचार-विमर्श करके श्रीराम को अयोध्या का राजा बनाने की घोषणा करते हैं, जिसे सुनकर अयोध्या वासियों में खुशी की लहर दौड़ जाती है सभी श्रीराम के राजतिलक की तैयारियों में लग जाते हैं। श्रीराम के राजतिलक का समाचार सुनते ही दासी मंथरा महारानी कैकेई को भड़काती है और भरत को राजगद्दी पर बैठाने के लिए उकसाती है। महारानी कैकेई उसकी बातों में आकर, कोप भवन में चली जाती हैं, जहां वह महाराज दशरथ से दिए हुए दो वचन मांगती है, पहला भरत को राजगद्दी और दूसरे वचन में श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास। जब श्रीराम को पता चलता है तो अपने पिता के वचनों की लाज रखने के लिए खुशी-खुशी 14 वर्षों के लिए वन में जाने के लिए सहर्ष तैयार हो जाते हैं पुत्र वियोग में दशरथ प्राण त्याग देते हैं रामलीला का मंचन केवट संवाद तक हुआ। इस अवसर पर महंथ चंद्रमा दास महाराज एवं रामलीला मंचन सहयोगियों में लल्लन प्रसाद पांडेय, रंगनाथ उपाध्याय, राजमणि मिश्रा, लालमनि मिश्रा, सूर्यमणि मिश्रा, मातादीन उपाध्याय, संजय उपाध्याय, सुशील उपाध्याय, सूरज नाथ, रमेश तिवारी, मालिक पांडेय, अरूण पांडेय, कड़ेदीन उपाध्याय, मंगला उपाध्याय, उदयराज उपाध्याय, जयप्रकाश उपाध्याय, विनोद उपाध्याय, सुरेश मिश्रा, त्रिभुवन उपाध्याय, निराले उपाध्याय, नागेश्वर मिश्रा, पवन उपाध्याय, आनंद उपाध्याय, राजा तिवारी, मनीष तिवारी, राकी पांडेय, विपिन मिश्रा, विशाल उपाध्याय, आकाश उपाध्याय, रवि उपाध्याय, दीपक उपाध्याय, अंकुश मिश्रा, निखिल पांडेय, सर्वेश मिश्रा, शिव मिश्रा, राजेश गौड़, विभव मिश्रा, गुलशन उपाध्याय, कौशल, अंकित, अनुज, गौरव गंगा गौड़, सचिन, राजेश उपाध्याय मुरलीधर प्रजापति एवं संगीतकारों में शुभम तिवारी, श्रीकांत सांवरा, प्रदीप जख्मी आदि लोग मौजूद रहे।